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नामकरण की राजनीति | Politics of Name

राजनीतिक उथल-पुथल के बाद या महत्वपूर्ण घटनाओं को यादगार बनाने के लिए अक्सर शहर की सड़कों का नाम बदल दिया जाता है, शहरों का नाम  दिया जाता है या बदल दिया जाता है। नामकरण की राजनीति (Politics of Name) ने देश को कुछ लोगो की जागीर बना के रख दी है।

Politics of Name

Politics of Name नामकरण की राजनीति

Chandrayan -3 की सफलता के बाद पूरी दुनिया भारत की उपलब्धि को सर- आँखों पर लिया है।  मिशन का लैंडिंग, लाइव-स्ट्रीमिंग खुद में  ही एक विश्व- रिकॉर्ड बना लिया है। पहली बार किसी देश ने चन्द्रमा के सुदूर दक्षिण- पोल पर अपने मिशन का पूर्ण किया है। वो भी तब, जब हमारा चंद्रयान-२ मिशन 4 साल पहले ही फ़ैल हुआ था और २-३ दिन पहले रूस का मिशन लूना-२५ का असफल लैंडिंग हुआ था।

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जो की BRICS मीटिंग में SOUTH -Africa की यात्रा पर थे, जहा से भारतीय साइंटिस्ट्स को Mission की सफलता की बधाई दी। और भारत वापसी में उन्होनें वैज्ञानिको से मिला और चंद्रयान-3 के landing-point का नामांकरण भी किया।

23rd August को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन अब National Space Day के रूप में मनाया जाएगा और जिस स्थान पर चंद्रयान-3 का मून लैंडर उतरा है, अब उस पॉइंट को शिव शक्ति के नाम से जाना जाएगा।

शिव = Prosperity of Mankind ;

शक्ति  = The power to pursuit this prosperity.

सोच में फर्क देखिए 2008 में जब UPA  राज में चंद्रयान-1 भेजा गया था तब यह जिस जगह पहुंच उसका नामकरण कांग्रेस सरकार ने जवाहर पॉइंट किया और आज …

नरेंद्र मोदी जी ने चंद्रयान 2 और चंद्रयान-3 जहां पहुंचे हैं उनका नामकरण किया चंद्रयान 3 के जगह का नामकरण शिव शक्ति पॉइंट किया गया इसमें शक्ति नारी स्वरूप को रिप्रेजेंट करता है क्योंकि चंद्रयान अभियान में महिला वैज्ञानिकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।  चंद्रयान 2 जिस जगह पर उतरा है उसका नामकरण भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर तिरंगा पॉइंट किया गया।

राजनीतिक उथल-पुथल के बाद या महत्वपूर्ण घटनाओं को यादगार बनाने के लिए अक्सर शहर की सड़कों का नाम बदल दिया जाता है, शहरों का नाम  दिया जाता है या बदल दिया जाता है। नामकरण की राजनीति (Politics of Name) ने देश को कुछ लोगो की जागीर बना के रख दी है।

Politics of Naming

कांग्रेस के लिए सिर्फ एक भ्रष्ट परिवार ही सब कुछ है। इतिहास में से नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद ,भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे लाखों महान लोगों का नाम मिटाकर सिर्फ एक ही परिवार का नाम जिंदा रखना चाहती है इनके लिए सब कुछ नेहरू, इंदिरा और राजीव तक सीमित है।

आपने इंदिरा पॉइंट का नाम सुना होगा, जिसका पहले नाम Pygmalion Point था। मुंबई में अगर समुद्र पर पुल बनता है जो वर्ली बांद्रा सेतु है तो उसका नाम राजीव गांधी सेतु रख दिया जाता है।  मेट्रो के कनॉट प्लेस रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर राजीव चौक रख दिया जाता है।  कांग्रेस शासित राज्यों में जितनी भी योजनाएं चलती हैं सारी योजनाएं सिर्फ नेहरू इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर चलती है उनके राज्य में जितने भी निर्माण कार्य भवन रेलवे स्टेशन कुछ भी बनते हैं सिर्फ तीन लोगों के ही नाम पर रखे जाते हैं।

नेहरू मेमोरियल: 75 बर्षो की सियासी जंग | Nehru Memorial

भारत में अब तक नेहरू शास्त्री चौधरी चरण सिंह पीवी नरसिम्हा राव अटल बिहारी वाजपेई इंदिरा गांधी और राजीव गांधी गुलजारीलाल नन्दा जैसे कई प्रधानमंत्री बने।

दिल्ली में प्रधानमंत्री का जो म्यूजियम बना वह सिर्फ नेहरू इंदिरा और राजीव का बना और उसे म्यूजियम का नाम नेहरू म्यूजियम रखा गया और उसे म्यूजियम में सिर्फ तीन प्रधानमंत्री की चीज रखी गई मोदी जी ने उसका नाम प्रधानमंत्री म्यूजियम किया और उसमें चौधरी चरण सिंह गुलजारीलाल नंदा मुरारजी देसाई पीवी नरसिम्हा राव लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति से जुड़ी चीज भी रखी गई।

हालांकि इस पर कांग्रेसी को ऐसी पीड़ा हुई जैसे उनके दूम पर किसी ने जूता पहनकर कस के हचमचा दिया हो और आश्चर्य इस बात का है कि देश का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग कांग्रेसी के इस अभियान पर चुप रहता है।

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सुप्रीम कोर्ट चुप रहती है क्या इस देश के लिए इन तीन भ्रष्ट लंपट के अलावा और कोई महान लोग नहीं है ? आप कांग्रेस को वोट दोगे फिर आपके राज्य में जितनी भी योजनाएं हैं जितने भी भवन हैं जितने भी सड़क और पुल हैं सबका नाम बदलकर इंदिरा नेहरू राजीव कर दिया जाएगा।

राजस्थान में वसुंधरा राजे ने अनाज की देवी अन्नपूर्णा देवी के नाम पर अन्नपूर्णा रसोई योजना बनाई थी सत्ता में आते ही अशोक गहलोत ने उसका नाम इंदिरा रसोई कर दिया। मतलब इन कांग्रेसियों के लिए हिन्दू देवी देवताओं से भी बढ़कर यह परिवार है।

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मैं फिर से कहता हूं मुस्लिम बहुत समझदार वोटर होता है वह चंद फर्जी योजनाओं और सिक्कों के आगे वोट नहीं देता बल्कि वह यह सोचकर वोट देता है कि किसके राज में उसे दादागिरी करने की खुली छूट मिलेगी, किसके राज में उसे पर कोई कार्रवाई नहीं होगी किसके राज्य में वह खुलकर कुछ भी कर सकता है।  वही हिंदू वोट देते समय सिर्फ यह देखा है कि कौन बिजली के बिल में ₹100 की छूट दे रहा है।

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Tietler

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