क्या सुप्रीम कोर्ट संसद से ऊंचा है? More powerful Supreme Court or government?
उत्तर प्रदेश सरकार ने UP मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित किया था जिसको लेकर मदरसा बोर्ड, हाईकोर्ट गया था हाईकोर्ट ने टिप्पणी दी थी के ये धार्मिक संस्था अवैध और गैरकानूनी है और तत्काल प्रभाव से UP में चल रहे मदरसों को बंद करने का आदेश दिया था, क्युकी ये मदरसे आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए थे।
क्या सुप्रीम कोर्ट संसद से ऊंचा है?
More powerful Supreme Court or government?
अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट आया तो सुप्रीम कोर्ट ने ये मानने से ही इंकार कर दिया की मदरसा कानून धर्म निरपेक्ष कानून का उलंघन करता है।
क्या ये हास्यास्पद नही है की हिंदुओ,सिखो,ईसाइयों,जैनियों, बुद्धो का अपना कोई धार्मिक बोर्ड नही है। सब पर भारत की शिक्षा कानून जिसमे राज्य शिक्षा बोर्ड,सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड का नियम लागू होती है। फिर मुसलमानों के लिए अलग से मदरसा बोर्ड कानून क्यों? मदरसे सरकारी पैसे से चल रहे है और सरकार के नियमों को ही नही मानते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की पीठ जिसमे डी वाई चंद्रचूड़, जे बी पदारीवाला,और मनोज मिश्र की पीठ ने सर्वसम्मति से इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को गलत करार दे दिया और उल्टे उत्तर प्रदेश सरकार को ही नोटिस दे दिया। आखिर सुप्रीम कोर्ट के जज चाहते क्या है? कोर्ट में करोड़ों केस पेंडिंग है जिनकी सुनवाई सालो साल नही होती और उच्च वर्ग विपक्षी नेताओं, हिंदू विरोधियों, सरकार के विरोधियों और आतंकवादियो के मामले एक दिन में दाखिल होते है और इनपर तुरंत सुनवाई हो रही है।
पिछले कई साल से ये देखने को मिल रहा है या फिर यह कहे की एक राह बन गया है की,सरकार देश को चलने के लिए नए-नए कानून लाते हैं और अगले ही दिन विपक्ष उस कानून को बर्बाद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट चले आते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी उस दलील को सुनती है, उनके पास पहले से ही करोड़ो अटके केस पड़े रहते हैं, पर उन्हें सुनवाई करनी है उसी केस की जिसके लिए भारत सरकार के पास संविधान ने खुद अधिकार दिया है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ही अब सरकार चलाएगा और देश की सत्ता संभालेगा?
अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को निशाने पे लिया और भ्रामक विज्ञापनों के मामले में उनकी माफी को भी नही माना जबकि सैकड़ो विदेशी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पे सुप्रीम कोर्ट मौन है। बीजेपी के इलेक्टोरल बांड पे सुप्रीम कोर्ट मुखर हो गया जबकि केजरीवाल के खालिस्तानी आतंकी पन्नू से लिए गए अवैध चंदे पे मौन है।
सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने अभी कुछ दिन पहले कोर्ट में दीप प्रज्वलन और सरस्वती पूजा को बंद करने की बात की, लेकिन कोलकाता और दिल्ली में सड़को पे नमाज और इफ्तार के मामले पे चुप्पी साध रखी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल के गिरफ्तारी के बावजूद उसके इस्तीफे वाली याचिका खारिज कर दी और आसाराम बापू को 13 साल से 1 भी दिन की जमानत नही दिया है।
इलेक्टोरल बांड से संभावित नियम भी आज की बनी नहीं हुई है परन्तु उसकी संज्ञान अभी लेकर जल्दबाजी में फैसला दे दिया, वो बताता है की सुप्रीम कोर्ट खुद अपनी स्मिता के लिए हासिये पर आ गयी है। इलेक्टोरल बांड पर SC का आदेश सिर्फ राजनितिक फायदे के लिए नहीं किया गया है वरन देश को वित्तीय संकट की आग में झोकने का भी किया है। SC ने अब बीजेपी का विरोध करते करते भारत सरकार का भी विरोध करना शुरू कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के गत कुछ सालों के कुछ फैसले देशविरोधी, हिन्दू विरोधी , समानता- और तर्क-विरोधी विरोधि रहे है I देश की जनता को बीजेपी को 400 सीट्स दिलानी चाहिए ताकि देश और देश-वासियों की सभी तरफ से सुरक्षा मिल सके और सभी अधिकारों के साथ साथ जिम्मेदारी भी निभाए।
कोर्ट सत्य की रक्षा के लिए होने चाहिए न की आतंकवाद और अतिवाद के संरक्षण के लिए। कोर्ट ने बाबा रामदेव को तो माफी मांगने पर मजबूर कर दियापर अन्य झूठे विज्ञापनों से माननीय कोर्ट को कोई दिक्कत नहीं है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय पर वामपंथियों और राष्ट्र द्रोहियों का कब्जा हो गया है, जिसके कारण सभी आतंकवादी, राष्ट्रद्रोही, मुस्लिम और ईसाई के सभी मुकदमों में महामहिम इन लोगों को दोष मुक्त जाहिर करते हैं। फिर ये अपनी करतूतों के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं और हम झेलने को मजबूर किए जाते हैं।
मोदी का परिवार | Family of Modi