मणिपुर हिंसा की पूरी कहानी (Manipur Violence story)
मणिपुर हिंसा की पूरी कहानी (Manipur Violence story):
आरक्षण का रूप और उसका असर हमने व्यक्तिगत रूप से देखा था, परन्तु यह पुरे समाज को निगल जाए, समूचे मानवता की बलि चढ़ा दे यह पहली बार देख रहा हूँ| यह आरक्षण एक दानव रूपी सहूलियत है जिसे आज नहीं तो कल परन्तु बहुत जल्दी ही तिलांजलि देना होगा। आरक्षण की एक judgement, जो की हाई कोर्ट से आती है और पूरा राज्य धु-धु कर जल जाता है।
मणिपुर (Manipur Violence) की बात कर रहा हूँ मैं
साहब ! अब सोचना होगा की हम अन्याय के खिलाफ कोर्ट की आदेश को माने या फिर आदेश के खिलाफ एक और नया अन्याय करे।
सुप्रीम कोर्ट को मणिपुर हिंसा से सबक लेकर तत्काल सारे आरक्षण बंद कर देना चाहिए वर्ना ये आरक्षण नाम का दानव पूरे देश को एक दिन निगल लेगा |
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महिलाओं की इज्जत ही देश की आत्मा है, मणिपुर घटना कलंक है,अपराधियों की सजा केवल मौत ही है।
परन्तु इस पूरी घटना- चक्र में सिर्फ एक या दो महिला का rape नहीं हुआ है या फिर सिर्फ एक समुदाय की महिलाओं के साथ यह घृणित काम नहीं हुआ है, सो, जो इस सबके दोषी है सजा दो परन्तु सब को। न की वो जो सिर्फ इस वायरल वीडियो में दिख रहे हैं उसे।
क्या एक वीडियो की आड़ में जो 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं, 1000 का क़त्ल हुआ है और हजारों घायल हुए हैं, वो सब छिपा दिया जाएगा? मेरा कहना है कि इस वीडियो में दिख रहे गुनहगारों के साथ-साथ अब तक जो लोग मैतेई हिन्दुओं के घरों को फूँक रहे थे और उनका नरसंहार कर रहे थे, उन्हें भी सज़ा मिले।
वरना, एक घटना की आड़ में 10 घटनाएँ छिप जाएँगी और वायरल वीडियो के आधार पर ही अब नैरेटिव बनेगा कि #Manipur में पीड़ित कौन है और अत्याचारी कौन?
महिला, Army के खिलाफ एक शस्त्र
सच कड़वा होता है, सच मंथन माँगता है और सच के कई रूप होते हैं। इस पोस्ट- ट्रुथ एरा में, वो सब ही सिर्फ सच नहीं होते हैं जो दिखते हैं वरन सच उससे भी ज्यादा डरावना होता हैं जो दिखता नहीं है।
मणिपुर से कई ऐसे News सामने आए, जिनमें देखा गया कि कुकी जहाँ-जहाँ भी दंगे करने जा रहे थे, वहाँ-वहाँ अपनी महिलाओं को साथ लेकर जाते थे। Indian Army ने ऐसे videos जारी किए हैं जिनमें ट्रकों में भर-भर कर महिलाओं को ले जाए जाते हुए देखा गया है।
इन महिलाओं को क्यों ले जाया जाता था?
सच कहुँ तो इन महिलाओं का काम होता था किसी भी तरह सुरक्षा बलों को रोके रखना। ये सड़कें जाम कर देती थीं और दंगाइयों को बचाती थीं, a Perfect Shield बनकर। तब तक दंगाई मैतेई हिंदुओं के घरों को आग के हवाले कर देते थे, उनकी महिलाओं की इज्जत तार-तार करते थे और फिर उनके घरों को फूँक डालते थे।
कई ऐसी घटनाएँ हुईं जहाँ गिरफ्तार किए गए आतंकियों को छोड़ दिया गया क्योंकि इन महिलाओं ने सुरक्षा बलों की गाड़ियों को घेर लिया था।
क्या किसी ने भी कुकी आतंकियों की इन हरकतों के खिलाफ आवाज उठाई? अपनी ही महिलाओं को ढाल की तरह इस्तेमाल करने वालों के विरोध में उन छद्म बुद्धिजीवियों ने एक शब्द नहीं कहा, जो आज ढाई महीने पुरानी घटना को लेकर छाती पीट रहे हैं।
2 महिलाओं के साथ जो हुआ है उसको कोई सही नहीं ठहरा सकता। लेकिन, मुझे बताइए कि जब कुकी ने Violence में अपनी महिलाओं को शील्ड की तरह इस्तेमाल किया तब किसी के मुँह से भी चूँ क्यों नहीं निकला? जब पूरा देश कुकी महिला के साथ हुए कुकृत्य की भर्त्सना कर रहा है, फिर हम कुकी समुदाय द्वारा मैतेई हिंदुओं के इस नरसंहार को कैसे इग्नोर कर रहे हैं ? Manipur के कुकी ने अपनी महिलाओं को जानबूझकर आग में झोंका है। वो भी इस कांड में बराबर के भागीदार हैं।
क्या है कहानी (Manipur Violence story)
1901 में मैती (Meitei) हिंदुओं की आबादी 96% थी और ईसाई की जीरो। कुकी और नागा मणिपुर के नागरिक नहीं हैं। आज़ादी के पहले से ही अंग्रेजो की टेढ़ी नजर मणिपुर पर पड़ी और धर्मांतरण के लिए पादरी भेजे जाने लगे। नागालैंड और म्यांमार के कुकी, मणिपुर की पहाड़ियों और जंगलों पर कब्जा करने लगे। धीरे धीरे उनकी आबादी बढ़ने लगी।
जब मणिपुर का भारत मे विलय हुआ तब मैतेई हिंदुओं से ST स्टेटस छीन लिया गया जबकि नागा और कुकी के पास मौजूद है। 2013 से मैतेई की मांग है कि उनका ST स्टेटस बहाल किया जाए इसके न होने की वजह से उनकी संस्कृति, जमीनें इत्यादि धीरे धीरे उनके हाथों से जा रही है।
अन्याय की शुरुआत
#मणिपुर की मूल समस्या …
- अफ्रीम की खेती
- अवैध हथियारों की तस्करी,
- गैर जनजाति बनाम मूल जनजाति की लड़ाई,
- अवैध विदेशी घुसपैठियों मुस्लिमों का जमीनों पर कब्जा
आज हिन्दू और ईसाई बराबर हैं। कुकी-नागा ईसाइयों को ST का दर्जा दे दिया और वहां के मूल निवासी मेइती को वंचित कर दिया। पहाड़ों पर कूकियों का एक छत्र राज हो गया। मेइती हिंदुओं को पहाड़ो पर बसना रोक दिया गया क्योंकि पहाड़ आदिवासियों के लिए सुरक्षित कर दिया गया।
27 मार्च 2023 को हाई कोर्ट ने मणिपुर सरकार से मेइती हिंदुओं को ST दर्जा देने के लिए रिकमेंड करने का आदेश दिया। आधी आबादी होने के बाद भी मेइती हिंदुओं के पास सिर्फ 10% भूमि है उसमें भी कुकी और बांग्लादेशी मुसलमान हिस्सेदारी लिए हुए हैं।
HC के आदेश के बाद कुकियो को लगा कि मेइती जंगलों और पहाड़ो में आ जाएंगे जो उन्हे बर्दाश्त नहीं हुआ। नतीजे में उन्होंने मेइती हिंदुओं पर हिंसक हमले शुरू कर दिए। गांव के गांव जला डाले। बलात्कार किए।
कुकियों ने अफीम की खेती बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया था। उसके पैसे से हथियार खरीदे। BJP की सरकार आने के बाद करीब 15000 हेक्टेयर जमीन पर अफीम की खेती को नष्ट किया है। यह भी मैती हिंदुओं और सरकार के खिलाफ हिंसा एक कारण है।
मणिपुर हिंसा पर बड़ा षणयंत्र रचा गया है । पिछले 3 महीने से मणिपुर में हिन्दुओं की हत्याएं हो रही थी , तब कांग्रेस मौंन रही , पर जैसे ही सेना ने पासा पलटा , सोनिया गांधी बैचैन हो उठी और राहुल गांधी माणिपुर पहुंच गए|
मणिपुर और AFSPA
कौन लोग थे जो चाहते थे कि मणिपुर में भारतीय सेना का प्रभाव कम हो और AFSPA हट जाए, ताकि वो फिर से इस राज्य को अशांति के गर्त में धकेल सकें? कुछ लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं, वो कह रहे हैं कि सिर्फ इस वीडियो में जो दिख रहा है वही अपराध है उसके अलावा कहीं कोई दुनिया में अपराध हुआ ही नहीं आज तक। ऐसा नहीं चलेगा।
जिस भारतीय सेना को ‘बलात्कारी’ बता कर मणिपुर से हटाया गया, आज #ManipurViolence को शांत करने के लिए उसी भारतीय सेना को लगाने की नौबत आ गई है। मणिपुर में शांति आने लगी थी, परिणाम ये हुआ कि दबाव में केंद्र सरकार ने AFSPA को अधिकतर इलाकों से हटा दिया, अलग-अलग चरणों में।
आपके लिए सीख
जो मुसलमान और ईसाई SC लिस्ट में खुद को शामिल करने की मांग कर रहे हैं, वो #मणिपुर हिंसा से सबक लें। SC-ST की लिस्ट एक बेहद संवेदनशील मसला है और इससे छेड़छाड़ करना बड़े विवाद को खड़ा कर सकता है। ये सिर्फ SC-ST का दर्ज़ा हासिल करने तक सीमित नहीं है बल्कि ये समुदाय इसे अपने ऊपर हमले के तौर पर देखते हैं।
मैती “हिंदू” को लेकर कांग्रेस मौन रहेगा, यही आशा की जा सकती है कांग्रेस वालों से| हिंदुओं के लिए, हिंदुओं को ही आवाज उठाना पड़ेगा, जिसमे हिंदू हमेशा से और हर बार असफल रहता है| जब तक हिंदू अपनों के लिए खड़ा नही होगा, बांग्लादेश, कोलकाता, कश्मीर, मणिपुर होता रहेगा …
हमें जरुरी हैं एक घटना से उठके समस्या का निपटारा करना।
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