Election 2024

Less Polling Means What? Election 2024

चुनाव का दूसरा फेज ख़तम हो गया है और लोगों में सबसे बड़ी चर्चा जो चल रही है वो है, मतदान में लोगों की कम संख्या।

Less Polling Means What? Election 2024

लोगों का कहना है की चुनाव अभी गरम नहीं हुआ है या फिर चुनाव गरम नहीं हो रहा है। कारण क्या है?

कारण यह है कि आप यदि अखाड़े में अकेले ताल ठोकेंगे तो गर्मी नहीं आने वाली। बिहार और महाराष्ट्र को छोड़कर कहीं भी विपक्ष बहुत लड़ाई की स्थिति में नहीं है। उत्तर प्रदेश में तो सपा ने तय कर लिया है कि वह केवल 15-16 सीटों पर सीरियस होकर चुनाव लड़ेगी। शेष 64 सीटों पर पहले से वॉक ओवर दिया हुआ है। आप उन 64 सीटों पर चुनाव कैसे गरम कर लेंगे? दिल्ली में भी लगभग ऐसा ही हालत है। दिल्ली कांग्रेस – प्रदेश अध्यक्ष आज की तारीख में BJP ज्वाइन कर लिए हैं और AAP के सुप्रीमो दारू केस में जेल के अंदर बंद हैं। सूरत और इंदौर के बाद पूरी में भी कांग्रेस के उम्मीदवार ने हाथ का साथ छोड़ दिया है।

दक्षिण भारत में हर राज्य की अपनी क्षेत्रीय पार्टी है, BJP वहाँ भी कुछ सेंध लगा लेगी, और जो भी सीट मिलेगा वो एक तरह का बोनस ही होगा।

कांग्रेस के बड़े -बड़े नेता चुनाव में उतरने से घबड़ा रहे हैं। जो मैदान में आना चाह रहे थे उसे बिलकुल ही अलग कर दिया गया। काफी दिमागी कसरत के बाद एक नेता मिला है जिसे रायबरेली से उतारा गया है पर वो भी अमीठी का भगोरा बनके।

Less Polling Means What? Election 2024

चुनाव में तब गर्मी आती है जब जनता को बदलाव चाहिए, किसी की सत्ता उखाड़ फ़ेकनी हो,  जैसे 2014 में दिखा था।

अभी की बीजेपी, बहुत ही अधिक शक्तिशाली के साथ-साथ अनुशाषित पार्टी है। BJP लगातार अपने मैनिफेस्टो के आधार पर काम करते रहती है जिससे की उनके कोर वोटर्स उनके साथ हमेशा से लगे रहते हैं । और आज की विपक्ष, जिसका कोई एक सुगठित विचारधारा नहीं है। सब अपनी हज़ारों असामनता को साथ लिए मिलने की बात करते हैं, और हर दिन सुबह एक-दूसरे को गाली देते हैं और शाम को अपराध- मुक्ति की दरख्वास्त करते हैं। 

ये पार्टिया, पूर्वी राज्य में साथ हैं तो दक्षिण में घमासान और फिर दिल्ली में मिलन है तो पंजाब में अलगाव। हर पार्टी की अपनी राग है और वो उसी राग में बेसुरे हुए बैठे हैं। 

आज की विपक्ष , फ़िलहाल चार बातों को हर जगह दोहरा रहा है।

१. मणिपुर: दो गुट की लड़ाई का एक सिरा आज विपक्ष ने पकड़ लिया है और उसी को भारत की प्रतिमूर्ति बना कर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। जबकि दूसरे सिरा की आवाज कोई नहीं बनाना चाहते। वो मणिपुर के फर्जी अन्याय के विरोध में तो दिखाई देते हैं पर संदेशखाली के लिए उनकी ज़मीर सड़ जाती है। मणिपुर के लिए विपक्ष का रोना, बाक़ी देश के चुनाव से कोई लेना देना नहीं है।

How People Vote in India? भारत के मतदाता किस तरह से वोट डालते हैं?

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२. जाति जनगणना: हिन्दुओं को बाँटने के लिए सिर्फ हिन्दू धर्म के जाति के बीच का बटवारा, जो बिहार में और कुछ अन्य राज्य में भी हो चूका है; को मुद्दा बनाना, अंग्रेजो की डेविड एंड रूल जैसी ही कवायत है। देश के हित में यह कभी नहीं जा सकता है।

३. महंगाई: जो कि है नहीं। महंगाई मुद्दा बनने लायक़ इस देश में केवल दो बार आई है पिछले तीन चार दशक में, पहली बार अटल जी की सरकार में परमाणु परीक्षण के तुरंत बाद जब अमेरिका ने भारत के ख़िलाफ़ अचानक आर्थिक सेंशन लागू किया था और दूसरा सब्ज़ियों और पेट्रोलियम उत्पादों पर मनमोहन सरकार के 2012-2013 सत्र में। जितना मज़दूरी बढ़े, उसी अनुपात में उत्पादों के दाम बढ़े तो उसे महंगाई नहीं मानते, वह सामान्य रूप से समय के साथ मुद्रा का अवमूल्यन है जो कि ब्याज के कारण होना आवश्यक है।

I will give vote to Modi | 

और वैसे भी, ऐसी वैश्विक परिवेश में जहाँ, कई बड़े देश युद्ध से घिरे पड़े हैं, कोविद-१९ के बाद दुनिया सुधार की राह से अभी भी कोषों दूर है, कई देश दिवालिया हो गए हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप तक महंगाई की मार झेल रही है, उसकी तुलना में भारत फिर भी बहुत मजबूत स्थिति में है।

४. बेरोज़गारी: जो कि मानव चरित्र के कारण सदैव बनी रहेगी। कारण यह कि रोज़गार मनुष्य को स्वयं करना पड़ता है, सरकार रोज़गार नहीं देती, मनुष्य स्वयं से करता है। सरकार का काम केवल रोज़गार के लायक़ अवसर प्रदान करना होता है जो कि फ़िलहाल सबसे अच्छा है।

इन चार मुद्दों के अलावा कोई मुद्दा नहीं है और इन मुद्दों में भी सारे मुद्दे फ्रॉड हैं। इसलिए नये नये क्रिप्टो फ्रंट खोले जा रहे हैं जैसे कि:

  • भाजपा किसान विरोधी है,
  • भाजपा जाट विरोधी है,
  • भाजपा राजपूत विरोधी है,
  • भाजपा दलित विरोधी है,
  • भाजपा आरक्षण ख़त्म कर देगी,
  • भाजपा संविधान समाप्त कर देगी,
  • भाजपा की जीत ईवीएम से है।

ये सब बातें यह बताने के लिए काफ़ी है कि सामने से भाजपा से लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं हो रही सो नये नये बहाने लाने पड़ रहे है किसान, दलित आदि के रूप में। 

I will give vote to Modi | मैं प्रधानमंत्री मोदी जी को वोट क्यों दे रहा हूँ

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आप आज देखोगे, जहाँ भी कुछ आंदोलन होता है, मकसद कुछ भी हो आंदोलनकारियों की, कुछ समय बाद, कांग्रेस और विपक्ष की पार्टी वहाँ मिल जाएगी। चाहे फर्जी किसान-आंदोलन हो या साहिन बाग़, खिलाड़ियों का उनके संगठन के ऊपर दबाब डालने के लिए किया गया आंदोलन भी विपक्षी को मौका दे देता है अपनी गाना गाने को। आज विपक्षी चाल के कारण, किसी मुद्दा से निकला आंदोलन कुछ ही समय में राजनितिक रूप ले लेता है।

आज BJP ने जो काम किया है, उसके कारण :

सबको मकान, सबको इलाज, सबको शौचालय, सबको गैस सिलिंडर, सबको नल का जल, सबको बैंक खाता, सबको खाद्यान्न सुरक्षा, सबको बिजली, सबको सड़क, सबको इंटरनेट, सबको रोज़गार के लिए लोन ऐसे मुद्दे हैं जो व्यक्ति व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने में कामयाब हुए हैं, मिला है।

राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद से मुक्ति, दुनिया में भारत की स्थिति बेहतर करना, राम मंदिर निर्माण, धारा 370 की समाप्ति, तीन तलाक़ से मुक्ति, माफ़ियाँराज से मुक्ति, दंगाराज से मुक्ति आदि ऐसे विषय हैं जिसने भारत राष्ट्र के सामूहिक चिति में सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है।

इसलिए विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, उसके पास फ़िलहाल एक मुद्दा है और वह है कास्ट कॉम्बिनेशन। वह उसी के बलबूते उछल कूद कर रहे हैं, आँकड़े जोड़ रहे हैं। यह राष्ट्रीय चुनाव है, वोट भी राष्ट्रीय मुद्दों पर जाएगा। विपक्ष के क्रिप्टो फ्रंट द्वारा बनाये माहौल से यह सोचने की ज़रूरत बिलकुल भी नहीं है कि भाजपा पीछे है। भाजपा अखाड़े में अकेले ताल ठोक रही है पर लड़ने के लिए कोई पहलवान मिल नहीं रहा है इसलिए कुश्ती में मज़ा नहीं आ रहा है।

Tietler

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