समीक्षा /हमारी राय

ग़दर: एक प्रेम कथा | Gadar: Ek Prem Katha

Gadar 2 फिल्म की सफलता के लिए कई सारे कारक जिम्मेदार हैं । परन्तु सबसे बड़ा कोई वजह है तो वह है, ग़दर, खुद जो की आज से 22 साल पहले आया था। जिसने भी देखा, सबका इंतज़ार था आगे  की कहानी की, सबने इंतज़ार किया था अपने सुपर-हीरो को अपने पराक्रम दिखाने का। पाकिस्तान के ख़िलाफ़, भारत की वीरता दिखाने की हज़ारों वास्तविक वजह के बीच यह फ़िल्मी कहानी भी किसी से कम नहीं है। पुरे फिल्म आपको सीट पर बैठ कर  मजबूर करती है और साथ ही साथ मन को लगातार देश भक्ति की अनंत भावना के बीच आपको ले जाता है। और जब आप थियेटर से बाहर आते है तो सिर्फ एक भारतीय रह जाते हैं। 

ग़दर फिल्म की कहानी को भारतीय इतिहास के सबसे बेहतरीन परन्तु डरावने माहौल से उठाया गया है। देश आजाद हो चूका था,आजादी के मस्ती में सल्तनत के सुल्तान आह्लादित थे, ज्यादा की संख्या में लोग खुश थे, अंग्रेजो से उन्हें आजादी मिल गयी थी। लेकिन सीमावर्ती इलाके, आजादी के बेले में भी रक्त-रंजीत हो रहे थे। आजादी, विभाजन की खुनी शर्त के साथ सौपी  गयी थी। अपने, अपनों से दूर हो रहे थे। और उसी दृश्य को उकेरा  गया था, ग़दर फिल्म में। 

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1950 के दशक की भारतीय कहानी, जब इस्लाम नामक वैश्विक बीमारी ने भारत को तीन भौगोलिक भागों में विभाजित कर दिया और असंख्य भारतीय बेटियों की पवित्रता को निगल लिया गया था और उन सफेद चमड़ी वाले लोगों की निगरानी में सबसे भयानक मजहब प्रेरित मानव त्रासदियों में से एक का निर्माण किया। 

ऐसे कठिन समय में, एक बहादुर सनातनी सिख ने एक मुस्लिम बेटी की रक्षा की, जो भारत से गद्दारी करके पाकिस्तान चला गया था  – एक बार दंगाइयों से और दूसरी बार अपने ही कट्टर पिता से। 

यह फिल्म सनातन धर्म के मूल्यों की श्रेष्ठता को दर्शाती है और देशभक्ति, रोमांस, बहादुरी, छल और जिहादी कट्टरता जैसी भावनाओं से भरपूर है।  

यह फिल्म एक सिख ट्रक ड्राइवर तारा सिंह और एक कुलीन मुस्लिम परिवार से आने वाली लड़की सकीना के बीच प्रेम कहानी बताती है।

Gadar Ek Prem Katha कहानी

कहानी शुरू होती है अखंड भारत से, जहां एक सभ्य, अमीर मुस्लिम परिवार की लड़की सकीना शिमला के एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रही है। तारा सिंह ( सनी देयोल ) एक ट्रक ड्राइवर है जो स्कूल में सामान लाता है। एक बेवकूफी भरी शरारत के बाद दोनों के बीच दोस्ती हो जाती है।

फिर देश का बंटवारा होता है, और सकीना का परिवार, अशरफ अली दंगों के बीच लाहौर के लिए प्रस्थान करता है।

ग़दर 2 | Gadar 2

हाथापाई में सकीना पीछे छूट जाती है, और तारा उसे ढूंढ लेता है और आश्रय देता है। वह अपना धर्म बदल लेती है और India में ही शादी कर लेती है। अब, दंपति का एक बेटा है और वे लोग खुश हैं।

यह फिल्म मध्यांतर से पहले की है। अब तक की कहानी पूर्ण- यथार्थवादी है। दंगों को वस्तुनिष्ठ और बिलकुल साफ-साफ चित्रित किया गया है। हम एक ऐसे युग में वापस चले जाते हैं जिसकी वर्तमान समय में अधिकांश लोग कल्पना ही कर सकते हैं।

सात वर्षों के बाद, सकीना को अखबार में अपने पिता की एक तस्वीर दिखाई देती है और उसे एहसास होता है कि उसका परिवार जीवित है और बिलकुल ठीक है। 

Gadar Ek Prem Katha – सच्ची प्रेरणा

फ़िल्म ग़दर को एक सच्ची प्रेम-कहानी से प्रेरित होकर बनाया गया था । इस प्रेम-कहानी के नायक और नायिका थे बूटा सिंह नामक एक एक्स ब्रिटिश सोल्जर और ज़ैनब नाम की एक मुस्लिम लड़की। इनकी कहानी, ऐसी ही थी जैसा कि फ़िल्म में दिखाया गया है । लेकिन ! दोनों में कुछ अंतर थी तो यह कि फ़िल्म में तारा सिंह अपनी प्रेमिका सकीना को पाकिस्तान से वापस लाने में कामयाब हो जाता है लेकिन असल ज़िंदगी में बूटा सिंह ऐसा नहीं कर पाया था । उसने पकिस्तान जाकर ज़ैनब को लाने की कोशिश तो की पर अपने परिवार वालों के दबाव में आकर ज़ैनब ने आने से मना कर दिया, जिसके बाद बूटा सिंह ने पाकिस्तान स्थित शाहदरा स्टेशन के करीब अपनी छोटी सी बेटी को लेकर रेलगाड़ी के आगे छलांग लगा दी । इस घटना में बूटा सिंह की मौत हो गई थी लेकिन उसकी बेटी बच गई । 

फिल्म के एक ख़ास दृश्य में सनी देओल को चापाकल उखाड़कर लड़ते हुए दिखाया गया है जो कि फ़िल्म का एक मुख्य आकर्षण है । इस दृश्य के बारे में कहा जाता है कि वह फ़िल्म की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है। ख़ैर ! फ़िल्म जब रिलीज़ हुई तो उस समय के कई फ़िल्म क्रिटिक्स ने इस दृश्य का मज़ाक बनाते हुए कहा कि फ़िल्म के नाम पर अनिल शर्मा कुछ भी परोस रहे हैं । अनिल शर्मा कहते हैं कि जिन आत्ममुग्ध बुद्धिजीवियों ने इस दृश्य का मज़ाक उड़ाया उनमें भावनाओं को समझने की तनिक भी क्षमता नहीं है । इस दृश्य के माध्यम से यह कहना चाह रहा था कि जब किसी इंसान का परिवार खतरे में हो तो उन्हें बचाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है तो फिर एक चापाकल की क्या बिसात है ।

Gadar Ek Prem Kathaफिल्म एक परिचय

  • ज़ी टेलीफ़िल्म्स् लिमिटेड के बैनर तले इस फ़िल्म का निर्माण किया गया था जिसके निर्देशक थे अनिल शर्मा । तक़रीबन 3 घंटे की लंबाई वाली इस फ़िल्म को लिखा था शक्तिमान तलवार ने तथा इसे रिलीज़ किया गया था 15 जून 2001 को । इस फ़िल्म के प्रमुख भूमिकाओं में नज़र आए थे – सनी देओल, अमीषा पटेल, अमरीश पुरी, उत्कर्ष शर्मा, सुरेश ओबेरॉय आदि ।
  • फ़िल्म ग़दर की लोकप्रियता में इसके गीत-संगीत का भी अहम योगदान रहा था जिनके धुन तैयार किए थे उत्तम सिंह ने तथा बोल लिखे थे आनंद बक्शी ने ।
  • फ़िल्म में कुल 8 गीत रखे गए थे जिनके बोल थे – मैं निकला गड्डी लेके, मुसाफ़िर जाने वाले, हम ज़ुदा हो गए, आन मिलो सजना, जोड़ी ये जचदी नई और उड़ जा काले कावां गीत के तीन वर्जन । 
  • फ़िल्म ग़दर साल 2001 में सर्वाधिक कमाई करने वाली फ़िल्म थी, इसका कुल बजट था 19 करोड़ रु. तथा इसने बॉक्स पर 75 करोड़ 50 लाख़ रु. कमाए थे । फ़िल्म को ऑल टाईम ब्लॉकबस्टर घोषित किया गया । 

 Gadar Ek Prem Katha– और विरोध 

फिल्म की शूटिंग के दौरान कई शिया संगठनों ने इसे रोकने का प्रयास किया था। उनका कहना था कि फिल्म मुसलमानों के विरुद्ध है। साथ ही ये भी कहा कि जिस तरह हिंदू संगठनों को WATER जैसी फिल्मों का विरोध करने का अधिकार है वह अधिकार उनको भी है। 

शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में विरोध करने वालों को देशद्रोही घोषित कर दिया। ये मसला तब और आगे बढ़ गया जब फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद उत्तेजित भीड़ ने अहमदाबाद में एक मुस्लिम कॉलोनी में आग लगा दी। कई सारे मुस्लिम संगठन फिल्म पर बैन करने की मांग करने लगे। वही विश्व हिंदू परिषद और शिव सेना फिल्म के समर्थन में आ गई।

पर बात यहां भी समाप्त नहीं हुई क्योंकि फिल्म के रिलीज के कुछ महीनो बाद ही गोधरा दंगे शुरू हुए। और इस समय विश्व हिंदू परिषद ने अपने मुखपत्र संदेश में गोधरा ट्रेन हमले की तुलना गदर फिल्म में दिखाई गई ट्रेन हिंसा से की और इसके बाद शुरू हुए हिंसा में जब मुसलमानो की एक कॉलोनी जलाई गई तो उसके साथ वैसी ही तख्ती लटकाई गई जैसी फिल्म गदर में देखने को मिलती है ।

और पढ़ें : ग़दर – २ फुल रिव्यु 

 

Tietler

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