मोदी का परिवार | Family of Modi
आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बयान कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास परिवार ही नहीं है। वो हिंदू नहीं हैं। हिंदू अपनी मां के श्राद्ध में दाढ़ी-बाल बनवाता है। मोदी की माताजी का जब देहांत हुआ तो उन्होंने बाल-दाढ़ी क्यों नहीं बनवाया? इस तरह के बेतुके, आधारहीन एवं अमर्यादित बयान के विरोध में पूरी भारतीय जनता पार्टी उतर आई है। अब भाजपा और विपक्षी दलों के बीच ‘परिवारवाद’ के मुद्दे पर वार-पलटवार जारी है।
मोदी का परिवार | Family of Modi – पिछली बार मैं भी चौकीदार, अबकी बार मोदी का परिवार
प्रधानमंत्री मोदी ने परिवार ना होने को लेकर विपक्ष के हमले पर पलटवार करते हुए पूरे भारत को अपना परिवार करार दिया और अपने जीवन को एक खुली किताब बताते हुए कहा कि लोगों की सेवा करने के सपने के साथ उन्होंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को विपक्ष के एक आरोप ‘चौकीदार चोर है’ का भारी लाभ मिला था, तब भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान चलाया था। उसी तरह वर्ष 2024 के आम चुनाव से पूर्व ’मोदी का परिवार’ अभियान शुरू कर दिया है, जिसका भाजपा को भरपूर लाभ मिल सकता है, विपक्षी दलों की इस भूल के कारण भाजपा न केवल 370 सीटों के लक्ष्य को हासिल करेगी, बल्कि उनका गठबंधन 400 से पार जायेगा। निश्चित ही चुनाव का समय बहुत संवेदनशील होता है, जिसमें विवादित एवं व्यक्तिगत बयानों से बचना जरूरी होता है।
जैसे-जैसे मोदी एवं भाजपा का चुनावी अभियान तीक्ष्ण, उग्र एवं नियोजित होता जा रहा है, वैसे-वैसे उनके प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की बौखलाहट बढ़ती जा रही है।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी चुनावी रणनीति से भड़के कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव एवं विपक्षी दलों के नेता अपनी जुबान संभाल नहीं पा रहे।
मोदी के परिवारवादी राजनीति के बयानों का विपक्ष के पास कोई प्रभावी जवाब नहीं है, तभी ऐसे बचकाने बयानों से दूषित राजनीति करने से विपक्षी दल स्वयं को बचा नहीं पा रहे हैं, दूसरी ओर मोदी ने ऐसे राजनेताओं एवं राजनीतिक दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं एवं दलों के अलग-अलग चेहरे हो सकते हैं, लेकिन झूठ और लूट का उनका चरित्र समान है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लालू के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण में आकंठ डूबे इंडी गठबंधन के नेता बौखलाते जा रहे हैं। मोदी निश्चित रूप से एक बड़े 140 करोड़ लोगों के परिवार से जुड़े हुए हैं। देश की जनता के सामने मोदी का जीवन खुली किताब जैसा है। देशवासी मोदी को भली-भांति जानते हैं, समझते हैं। उनकी पल-पल की खबर रखते हैं। देर रात तक अगर मोदी काम करते है तो देश से लाखों लोग उन्हें इतना काम नहीं करने एवं कुछ आराम करने की सलाह देते हैं, यह प्यार है मोदी परिवार का उनके प्रति।
निश्चित ही मोदी ने एक सपना लेकर बचपन में घर छोड़ा था। वे देशवासियों के लिये जीने का एक सपना लेकर चले थे। मोदी का कोई निजी सपना नहीं है, देश एवं देशवासियों के सपने ही उनके संकल्प हैं। इसलिए देश के 140 करोड़ लोग ही उनका परिवार हैं, जिसमें युवा, बेटियां, बुजुर्ग सभी हैं। जिनका कोई नहीं है, उनके मोदी हैं। मेरा भारत मेरा परिवार, इसी भावना का विस्तार लेकर वे सपनों को सच के साथ सिद्ध करने के लिए जी रहे हैं। पूरा देश मोदी का परिवार है।
लोकसभा के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवाद क्या है, इसकी पूरी परिभाषा ही दे डाली थी। अब जब लालू यादव का मोदी को लेकर बयान आया तो भाजपा परिवारवाद पर और उग्र हुई है।
नरेन्द्र मोदी के दर्शन, उनकी व्यापक सोच, उनके विकासमूलक कार्यक्रमों, उनके व्यक्तित्व, उनकी बढ़ती ख्याति व उनकी कार्य-पद्धतियां पर विपक्षी दल एवं उनके नेताओं द्वारा कीचड़ उछालने की हदें पार हो रही हैं, उनके खिलाफ अमर्यादित भाषा का उपयोग हो रहा हैं, चुनावी सभाओं एवं चर्चाओं में भाषा की मर्यादा बिखर रही है, लेकिन मोदी अपने उद्बोधन में भाषा की मर्यादा को कायम रखते हुए कड़वे सच एवं यथार्थ को भी शालीनता एवं सहजता से परोस रहे हैं।
विपक्ष के बेतुके बयानों एवं आरोपों से चुनावी परिदृश्य पल-पल बदलते हुए भाजपा की जीत को सहज बना रहे हैं। देखा जाये तो प्रधानमंत्री ने समूचे देश को अपना परिवार कहकर विपक्ष के बुने जाल में फंसने की बजाय उसके इरादों पर पानी फेर दिया कि ऐसे अशालीन एवं बचकाने बयानों से उन्हें हराया नहीं जा सकता।
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