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क्या AZAM KHAN एक भू माफिया है?

समय कितना बलवान होता है अगर इसका सटीक उदाहरण देखना है तो आजम खान(AZAM KHAN)को देख लीजिए।

एक समय मुख्यमंत्री के बराबर की हैसियत रखने वाला आजम खान – आज जेल की चारदीवारी में बंध गया है। 

आजम खान की जिद और घमंड ने उनको अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया। वे कद्दावर नेता थे जिनके खिलाफ मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव भी नहीं बोल पाते थे।

भाजपा के नेता, अमर सिंह, रामपुर के नवाब खानदान, जया प्रदा, मुलायम सिंह, आला अधिकारी सभी पर उन्होंने टिप्पणियां की हैं लेकिन सब चुप रहे और इनका घमंड बढ़ता चला गया।

उनके खिलाफ यतीमखाना प्रकरण, डूंगरपुर प्रकरण, भैंस-बकरी चोरी, किताब चोरी समेत कुल मिलाकर करीब 100 मुकदमे दर्ज हुए।Azam Khan

AZAM KHAN एक भू माफिया

मुलायम सिंह यादव जब मुख्यमंत्री थे तब आजम खान ने मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय बनवाने की जिद ठानी। बेहद पढ़े लिखे आजम खान चाहते थे कि यह विश्वविद्यालय सरकारी पैसे से बने और वे उसके चांसलर बनें।

मुलायम सिंह यादव आजम खान की ताकत से वाकिफ थे लेकिन उन्होंने आजम खान को कुछ नहीं बोला।

तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर जो एक पूर्व आईपीएस अधिकारी, आईबी के निदेशक और कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके थे उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय के बिल को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया। आजम खान ने राज्यपाल पर भी विवादित टिप्पणी किया तब राज्यपाल ने आजम खान को राजभवन तलब करके कड़ी फटकार लगाई थी।

राज्यपाल द्वारा फटकारे जाने से आजम खान क्षुब्ध हो गए और विश्वविद्यालय को निजी तौर पर बनावाना शुरू किया‌ क्योंकि अब यह सम्मान की लड़ाई हो चुकी थी। इस मान सम्मान के नाम पर बहुत से लोग तबाह हो चुके हैं और आजम खान भू-माफिया घोषित हो गए।

जौहर विश्वविद्यालय के लिए जमीन ख़रीदना, पैसा इकट्ठा करना , लोगों की गाय भैंस खुलवा लेना, किताब चोरी करना, सरकारी जमीन कब्जा करना, भड़काऊ बयान देना, फर्जी प्रमाणपत्र बनवाना आदि आरोप इन पर लगे हैं।

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AZAM KHAN के राजनीति परिचय :

• आजम खान उत्तर प्रदेश के रामपुर निर्वाचन क्षेत्र से 10वीं बार विधायक बने।
• खान वर्तमान में समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं, लेकिन 1980 और 1992 के बीच चार अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य भी रहे।
• वह विधायक के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान जनता पार्टी (धर्मनिरपेक्ष) के सदस्य थे।
• अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान खान लोक दल के सदस्य बने।
• विधायक के रूप में यह उनका तीसरा कार्यकाल था; जब वह जनता दल में थे।

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• आजम खान अपने चौथे कार्यकाल के दौरान जनता पार्टी के सदस्य थे।
• खान तब समाजवादी पार्टी में शामिल हुए जब वह पांचवीं बार विधायक बने और वह 1993 से समाजवादी पार्टी के सदस्य हैं।
• उन्होंने 17 मई 2009 को पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया।
• 15वें लोकसभा चुनाव के दौरान, आसपास के विवादों के कारण पार्टी में संकट पैदा हो गया। 24 मई 2009 को खान को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन बाद में पार्टी ने उनके निष्कासन को रद्द कर दिया और खान फिर से 4 दिसंबर 2010 को पार्टी में शामिल हो गए।
• 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने उत्तर प्रदेश के रामपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा की उम्मीदवार जयाप्रदा के खिलाफ 1,09,997 मतों के अंतर से जीत हासिल की।
• उन्होंने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट से जीत हासिल की।
• 22 मार्च 2022 को उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ लोकसभा की अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।

AZAM KHAN और विवाद:

• 28 अगस्त 2012 को एक बैठक के दौरान उन्होंने एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी के साथ मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया। जिसमें उनके द्वारा बोले गए चिल्लाना: “बकवास करते हो … चुप बैठिए … बदतमीज़ कहीं के”

• उन्होंने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान मुस्लिम लोगों को गिरफ्तार नहीं करने के लिए पुलिस पर दबाव डाला था।

• बाद में वह तब सुर्खियों में आए, जब उनकी लापता भैंसों का पता लगाने के लिए 100 पुलिसकर्मियों और रूमाल सूंघ कर चोर का पता लगाने वाले कुत्ते की टीम को तैनात किया गया था।

आजम खान ने 21 नवंबर 2014 को टिप्पणी की कि ताजमहल को वक्फ बोर्ड को सौंप दिया जाना चाहिए, जिसके लिए मीडिया द्वारा उनकी व्यापक आलोचना की गई, क्योंकि ताजमहल पूरे देश का है, न कि केवल एक समुदाय का।

आज़म खान ने नवंबर 2015 के पेरिस हमलों के बारे में एक विवादास्पद टिप्पणी करने के बाद सुर्खियों में आए। उन्होंने कहा, “पेरिस आतंकी हमले अमेरिका और रूस जैसी वैश्विक महाशक्तियों की कार्रवाई का परिणाम है और इतिहास तय करेगा कि कौन आतंकवादी है।”

• खान ने एक बार कारगिल युद्ध का जिक्र करते हुए कहा था, कारगिल की चोटियों पर हिंदू नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों ने विजय प्राप्त की थी। उनके बयान को भारतीय मीडिया ने फटकार लगाई और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। 

जब आजम अखिलेश यादव सरकार का हिस्सा थे, तब उन्होंने मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन की पार्टी का आयोजन किया था। मीडियाकर्मियों ने जब यह जानना चाहा कि बर्थडे बधाई के लिए फंड किसने दिया, तो खान ने जवाब दिया- “फंड तालिबान से आया है। कुछ दाऊद ने दिया है, कुछ अबू सलेम से आया है।”

भारतमाता को “दयान” (चुड़ैल) कहने के लिए भी आजम को दोषी ठहराया गया था। बाद में उन्होंने कहा कि यह उनकी धार्मिक मान्यताओं के संदर्भ में है।

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अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने खान के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा के खिलाफ “अंडरवियर जिब” के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की थी। जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से उनके विपरीत चुनाव लड़ा था। बाद में चुनाव आयोग ने उन्हें 72 घंटे के लिए प्रचार करने से भी रोक दिया था।

बदायूं में एक कार्यक्रम के दौरान आजम खान ने महिलाओं की अस्मिता पर हमला बोलते हुए कहा था, कि गरीब घरों की महिलाएं यार के साथ नहीं जा सकतीं, लिहाजा ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं।

1. आजम खान काले धन की खान।

2. माफिया किंग ब्रिगेड के साथ।

3. राज्य में मुस्लिम मतदाताओं का तुष्टीकरण।

4. एसपी और कांग्रेस के बीच चुनावी समझौते की ताकत।

5. योगी-मोदी विरोधी।

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कारगिल विजय

Tietler

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