वर्त्तमान-प्रासंगिक

Scam 2003: The Curious Case of Abdul Karim Telgi 

स्कैम 1992 (Scam 1992)’ के निर्माताओं की  दूसरी वेब सीरीज ‘Scam 2003: The Curious Case of Abdul Karim Telgi (स्कैम 2003: द क्यूरियस केस ऑफ Abdul Karim Telgi )। यह वेब सीरीज पत्रकार संजय सिंह की किताब ‘रिपोर्टर्स डायरी (Reporter’s Diary)’ पर आधारित है।

Abdul Karim Telgi 


आपको वेब सीरीज ‘स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी’ तो याद ही होगी, जिसमें हर्षद मेहता स्कैम की कहानी बताई गई थी। हर्षद मेहता ने करीब 5000 करोड़ का घोटाला किया था, जिसकी जानकारी मिलने के बाद हर कोई हैरान रह गया। इसके निर्माता हंसल मेहता अब ‘स्कैम 2003-द तेलगी स्टोरी’ नाम से एक और वेब सीरीज लेकर आ रहे हैं।

इसमें उन्होंने अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) की कहानी दिखाई है, जो घोटाला हर्षद मेहता से करीब 6 गुना बड़ा है। इस घोटाले का सबसे अहम पहलू यह है कि घोटाला उजागर होने के बाद सरकार को इस घोटाले में छपे सभी फर्जी स्टाम्प पेपर्स को वैध करना पड़ा, आखिर सरकार की क्या मजबूरी थी? और कही न कही हर्षद मेहता के घोटाले से ही प्रेरित होकर तेलगी ने इस घोटाले की नींव राखी थी।

अब्दुल करीम तेलगी का जन्म 29 जुलाई 1961 को, कर्नाटक के खानपुर में हुआ था। उसके पिता भारतीय रेलवे में कार्यरत थे। जब तेलगी छोटा था तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई। अपनी जीविका चलाने के लिए तेलगी ने अपने परिवार के साथ स्टेशन पर मूंगफली, फल और सब्जियाँ बेचना शुरू कर दिया। साथ ही बी.कॉम की डिग्री हासिल की और मुंबई आ गया।

यहीं से शुरू हुआ Abdul Karim Telgi  के फर्जीवाड़े का खेल

मुंबई में उसने कई लोगों को नौकरी के लिए खाड़ी देशों में जाते देखा, Abdul Karim Telgi भी खाड़ी देश गया और वहा 7 साल तक काम किया। इसके बाद वह 1990 के आसपास भारत लौट आया और यहां फर्जी पासपोर्ट और वीजा बनाकर लोगों को खाड़ी देशों में भेजना शुरू कर दिया। तेलगी इस जालसाजी से खूब पैसा कमा रहा था, लेकिन एक दिन उसका भंडाफोड़ हो गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद Abdul Karim Telgi को जेल की सजा सुनाई गई और जेल में तेलगी की मुलाकात रतन सोनी नाम के शख्स से हुई। राम रतन सोनी ने तेलगी को बताया कि शेयर बाज़ार में हर्षद मेहता के घोटाले के बाद मार्किट में स्टाम्प पेपर्स की कमी हो गयी है।  उसने तेलगी को बताया कि स्टांप पेपर कितना उपयोगी है और इससे कितनी बड़ी धोखाधड़ी की जा सकती है। यहीं से उसे बड़े पैमाने पर स्टाम्प बेचने का आइडिया मिला।  जेल में Abdul Karim Telgi को एक ऐसा आइडिया मिला, जिससे उस पर पैसों की बारिश होने वाली थी।

जेल से बाहर आते ही अब्दुल करीम तेलगी ने स्टांप पेपर घोटाले की तैयारी शुरू कर दी। साल 1994 में तेलगी ने राम रतन सोनी के साथ मिलकर क़ानूनी तौर पर स्टाम्प विक्रेता का लाइसेंस हासिल कर लिया।  ये लाइसेंस उसे मिला था असली स्टाम्प बेंचने के लिए जिसके बदले उसे कमीशन मिलता, लेकिन अब्दुल करीम तेलगी का मकसद ये बिलकुल नहीं था।  इस लाइसेंस की आढ़ में वो खुद नकली स्टाम्प छापकर बेंचना चाहता था, जिससे कि स्टाम्प बिक्री का पूरा पैसा उसकी जेब में आ जाये।

तब उसे पता चला कि नासिक रेलवे स्टेशन पर जहां वह फल और सब्जियां बेचता था, वहां नासिक प्रिंटिंग प्रेस है, जहां स्टाम्प पेपर की छपाई की जाती है। तेलगी ने वहां के लोगों से अपनी पहचान बनाई और उसने नीलामी में एक पुरानी मशीन खरीद ली और उसकी मरम्मत कर नकली स्टांप छापना शुरू कर दिया।

स्टाम्प बेचने के लिए MBA लोगों को रखा था काम पर Abdul Karim Telgi  ने

अब इन स्टाम्प पेपर्स को पूरे देश में फैलाने की बारी थी। इसके लिए Abdul Karim Telgi ने एमबीए कर चुके करीब 300 लोगों को काम पर रखा, उनका काम जगह-जगह जाकर इन स्टाम्प पेपर्स को बेचना था। ये स्टाम्प पेपर कॉर्पोरेट, तहसील और शेयर बाज़ारों में बेचे जाते थे। इन स्टाम्प को बेचते समय भारी छूट दी जाती थी, जिससे लोग इन्हें तुरंत खरीद लेते थे।

तेलगी ने देश के करीब 70 शहरों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। 10 साल में उसने ढेर सारे स्टाम्प छापकर बेचे और करोड़ों-अरबों रुपये की संपत्ति कमाई।

गिरफ्तारी के बाद जेल से चलाता रहा अपना कारोबार

साल 2000 के अगस्त महीने में बेंगलुरु पुलिस ने फर्जी स्टाम्प पेपर ले जाते हुए दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया इस मामले में जब जांच शुरू हुई तो इस फर्जी स्टाम्प घोटाले की परतें खुलना शुरू हुई।

नवम्बर 2001 में अब्दुल करीम तेलगी को अजमेर से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार होने के बाद जब पुलिस ने तेलगी से पूछताछ की तो कई बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों के नाम सामने आए और गिरफ्तारियां भी हुई मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।

जांच में 18 शहरों में तेलगी की अकूत संपत्ति और 123 बैंक खातों का पता चला। ये घोटाला 20000 करोड़ रूपए का था।

साल 2006 में अदालत ने तेलगी को 202 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ 30 साल कैद की सजा सुनाई.

और पढ़ें : क्या AZAM KHAN एक भू माफिया है?

क्या AZAM KHAN एक भू माफिया है?

उसे बेंगलुरु जेल भेज दिया गया, जेल में भी वह काफी आलीशान जिंदगी जीता था इस बात का खुलासा जुलाई 2017 में बेंगलुरु की डीआईजी डी. रूपा ने किया था, उनका कहना था कि जेल में तेलगी को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है और मसाज के लिए तीन – चार लोग दिए जाते हैं।  इस खुलासे के तीन महीने बाद 26 अक्टूबर 2017 को अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो गई। वैसे ही जैसे हर्षद मेहता की हो गयी थी। बताया गया कि डायबिटीज और हाई ब्लड के कारण उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।

नार्को टेस्ट में लिए चौंकाने वाले नाम!

इसके बाद अब्दुल करीम तेलगी का नार्को टेस्ट भी किया गया, जिसमें उसने दिल्ली के बड़े नेताओं समेत कई पुलिसकर्मियों और नेताओं के नाम लिए। इसके बाद यह केस एसआईटी (Special Investigation Team) और सीबीआई (CBI) को सौंप दिया गया। हालाँकि, सबूतों के अभाव के कारण किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, केवल तेलगी सहित कुछ लोगों पर कार्रवाई की गई।

इस मामले में 9000 रुपये प्रति माह कमाने वाले एक हेड कांस्टेबल का नाम भी सामने आया, जब उसके यहां छापा मारा गया तो उसके पास 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ। एक और पुलिसकर्मी के खिलाफ जांच में उसकी 200 करोड़ रुपये की संपत्ति का पता चला। ऐसा कहा जाता था कि अब्दुल करीम तेलगी लोगों को रिश्वत नहीं देता था बल्कि बड़े-बड़े राजनेताओं और पुलिसकर्मियों को सैलरी पर रखता था।

कोर्ट ने इतिहास की सबसे बड़ी सज़ा सुनाई

Abdul Karim Telgi की प्रिंटिंग प्रेस कहां थी, जहां ये सभी स्टांप पेपर छपते थे। कोर्ट ने 2007 में इस मामले में सजा सुनाई। तेलगी को 30 साल की जेल और 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। कोर्ट के इतिहास में पहली बार किसी पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया है।

23 अक्टूबर 2017 को, शरीर के कई अंग फेल होने की वजह से अब्दुल करीम तेलगी की जेल में मौत हो गई, जिस पर कई सवाल भी उठे और साजिश के आरोप भी लगे।

सरकार ने इस घोटाले को वैध घोषित कर दिया

देखा जाए तो इस घोटाले को वैध नहीं किया गया, लेकिन इस घोटाले के तहत बेचे गए सभी नकली स्टांप पेपर को वैध कर दिया गया। अब सवाल यह है कि सरकार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि नकली स्टांप को वैध घोषित करना पड़ा?

दरअसल, देश में सभी कानूनी कार्यों या समझौतों के लिए स्टांप का इस्तेमाल किया जाता है। 1992 से 2002 तक देश में ज्यादातर स्टांप Abdul Karim Telgi के नकली स्टांप थे। ऐसे स्थिति में अगर इन्हें अवैध घोषित कर दिया जाता तो उस दौरान हुई सारी शादियां, सारे कॉन्ट्रैक्ट, जमीन-जायदाद के सारे समझौते, इंश्योरेंस सब कुछ अवैध हो जाता और बड़ी समस्या खड़ी हो जाती, यही कारण है कि सरकार को इस घोटाले के तहत बेचे गए सारे नकली स्टांप को वैध बनाना पड़ा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

अब्दुल करीम तेलगी का क्या हुआ?

तेलगी की 23 अक्टूबर 2017 को बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल में कई अंग फेल होने की वजह से मृत्यु हो गई। कथित तौर पर वह उच्च रक्तचाप और मधुमेह के साथ-साथ मेनिनजाइटिस सहित कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित था।

2003 में कितने रुपये का घोटाला हुआ था?

स्टाम्प पेपर घोटाला, जिसे तेलगी घोटाला के नाम से भी जाना जाता है, एक वित्तीय घोटाला था जो 1992 में शुरू हुआ और 2003 में सामने आया। इस घोटाले में एक नकली स्टाम्प पेपर रैकेट शामिल था जो भारत के कई राज्यों में फैला था। ये घोटाला लगभग 30,000 करोड़ रुपये का था।

Tietler

Dear Readers, I am an agent of change in the Digital world. I love to discuss every aspect of life from #FarmersLand to the #CryogenicMechanics of Mission #MangalYan with the people around us. Blogging is the next level of my enthusiasm for discussion. I started this blog to express my spirit of thoughts to you. It will be helpful for me to enhance my learning curves and beneficial for you with new factual and conceptual understanding of topics.

Express your thoughts here

Sela Tunnel: PM मोदी ने किया दो लेन की सबसे लंबी सुरंग का उद्घाटन CAA – Citizenship Amendment Act Hit and Run Case #breakingnews बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड मंदिर से जुड़ने के लाभ